बिजनौर के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर नीरज चौधरी के मुताबिक स्टील और एल्युमीनियम से बने नकली चांदी वर्क के लगातार उपयोग करने से एसीडिटी, पेट और आंत संबंधित अल्सर जैसे गंभीर रोग हो जाते हैं.
देशी-आयुर्वेदिक दवाईयों में प्रयोग के साथ मिठाईयों और पान पर लगने वाला चांदी का वर्क आपने देखा होगा. खबर है कि ये चांदी के वर्क भी नकली बनाए जा रहे हैं. हूबहु चांदी की तरह चमक-दमक वाले ये वर्क एल्युमीनियम और स्टील के छोटे-छोटे पतरों से बनाने का गोरखधंधा यूपी के कई जिलों खासकर बिजनौर, अमरोहा और सम्भल में खुलेआम चल रहा है. खासबात यह है कि स्थानीय प्रशासन को नकली चांदी के वर्क बनाने के काले कारोबार के बारे में सब कुछ पता होने के बावजूद किसी पर कार्रवाई नही होती है. बिजनौर के नजीबाबाद, नगीना, धामपुर कस्बों मे लगभग 50 घरों में रोजाना लाखों रूपए कीमत के ङुप्लीकेट वर्क बना कर सप्लाई किए जाते हैं. असली चांदी वर्क बनाने के लिए चौकोर रंगीन ट्रेसिंग पेपर की गड्डी में चांदी के बारीक तार के टुकड़े को चमड़े के थैले में रख कर हथौड़े से खूब पीटा जाता है, जिससे तार महीन हो कर फैलता जाता है. चमड़े के इस थैले को औजार बोला जाता है. ऐसे बनता है नकली चांदी का वर्क वहीं नकली चांदी का वर्क बनाने में स्टील या एल्युमीनियम के पतरे के टुकड़े करके औजार (चमड़े के थैले) में रख कर हथौड़े से कूटा जाता है और नकली चांदी का वर्क तैयार हो जाता है. असली चांदी के वर्क और एल्युमीनियम या स्टील के वर्क को देख कर आसानी से नहीं पहचान सकते कि कौन सा असली है और कौन नकली. सैकड़ों घरों में बनता है चांदी का वर्क बिजनौर, अमरोहा और संभल जिले के सैकड़ों घरों में ये चांदी के वर्क बनाए जाते हैं. घर-घर महिला-पुरुष मिलकर औजार को हथौड़े से कूटते हैं. यहां तैयार करके इसको देश के सभी शहरों कस्बों तक सप्लाई किया जाता है. इसका उपयोग देशी-आयुर्वेदिक दवाईयों के साथ मिठाईयों और पान, तम्बाकू मसाले और जर्दा पर लगाने से लेकर तरह-तरह से किया जाता है. शरीर में हो सकता है गंभीर रोग बिजनौर के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर नीरज चौधरी के मुताबिक स्टील और एल्युमीनियम से बने नकली चांदी वर्क के लगातार उपयोग करने से एसीडिटी, पेट और आंत संबंधित अल्सर जैसे गंभीर रोग हो जाते हैं. स्टील और एल्युमीनियम मेटल है और इससे बने वर्क आसानी से पचते नहीं हैं, जिससे शरीर मे टॉक्सिन इकट्ठे हो जाते हैं. शरीर टॉक्सिक हो जाता है और लम्बे समय तक उपयोग करने पर गले मे संक्रमण, इंटेस्टाइन संबंधित गंभीर रोगों का खतरा हो सकता है.
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