जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को इस माह का पहला प्रदोष व्रत आने वाला है. इस दिन भगवान शिव की पूजा विधिवत तरीके से करने पर भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है. ऐसे में इस माह का पहला प्रदोष व्रत क्यों खास है, इस दिन किसका पूजा करने बेहद शुभ होता है, पूजन विधि क्या है, शुभ मुहूर्त क्या है, ये सब हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं, मार्गशीर्ष माह में प्रदोष व्रत का शुभ मुहुर्त कब है? हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार व्रत रखने का विशेष महत्त्व है, हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखने का विशेष विधि- विधान है. हिंदू पंचांग में त्रयोदशी तिथि पर पड़ने वाला प्रदोष व्रत दिनांक 21 नवंबर 2022 दिन सोमवार को सुबह 10:07 मिनट से लेकर अगले दिन 22 नवंबर 2022 को 08:49 मिनट तक रहेगा. ये व्रत सोमवार को है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं. वहीं पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो इसका अमृत मुहूर्त 21 नवंबर को शाम 05:34 मिनट से लेकर 08:14 मिनट तक रहेगा. पूजन सामग्री और पूजन विधि क्या है? सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विशेष रुप से पूजा करने का विधि- विधान है. भगवान शिवऔर माता पार्वती की प्रतिमा के साथ माता पार्वती की श्रृंगार सामग्री खरीदें, कच्चा दूध, पंचफल, पांच तरह की मिठाई, बेलपत्र, इत्र,धूनि, गंगाजल, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, रोली, इत्यादि खरीदें. पूजा विधि क्या है? सोम प्रदोष व्रत के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें. उसके बाद भगवान को फल, फूल, धूप सामग्री अर्पित करें. इसके बाद शुद्ध शहद से शिवलिंग को स्नान कराएं, शुद्ध जल और कच्चे दूध से अभिषेक करें, अभिषेक करने के साथ-साथ 'ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें, पश्चात भगवान की आरती करें. ऐसा करने से आपको सारे दुखों से मुक्ति मिलेगी और आपका जीवन मंगलमय होगा.
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