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JNU में घुसना मुश्किल, दीवारों पर जातिवादी नारेबाजी के बाद VC उठाएंगी ये ठोस कदम!

JNU में घुसना मुश्किल, दीवारों पर जातिवादी नारेबाजी के बाद VC उठाएंगी ये ठोस कदम!

JNU में घुसना मुश्किल, दीवारों पर जातिवादी नारेबाजी के बाद VC उठाएंगी ये ठोस कदम!

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में अब स्टूडेंट्स को एंट्री के लिए स्मार्ट कार्ड की जरूरत होने वाली है. जेएनयू प्रशासन इस तरह का सिस्टम तैयार करने का विचार कर रहा है.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के कैंपस में हाल ही में जातिवादी टिप्पणियों लिखी गईं, जिसे लेकर काफी विवाद हुआ. वहीं, इस मामले पर JNU प्रशासन बड़ी कार्रवाई करने के मूड में है. अब स्टूडेंट्स की एंट्री को लेकर एक नया सिस्टम बनाया गया है. वाइस-चांसलर शांतिश्री पंडित ने कहा है कि यूनिवर्सिटी एंट्री को रेगुलेट करने के लिए एक स्मार्ट आईडी कार्ड सिस्टम लागू करना चाहेगा. दरअसल, JNU की दीवारों पर ‘ब्राह्मण कैंपस छोड़ो’, रक्तपात होगा, ब्राह्मण भारत छोड़ो और ब्राह्मणों और बनिया, हम तुम्हारे पास बदला लेने आ रहे हैं’ जैसे नारे लिखे गए. स्टूडेंट्स ने बताया था कि ब्राह्मण और बनिया समुदाय के खिलाफ नारों के साथ स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज-द्वितीय की इमारत में तोड़फोड़ की गई. सोशल मीडिया पर नारेबाजी की तस्वीरें सामने आई थीं, जिस पर काफी बवाल मचा था. वहीं, JNU में घटित इस घटना को लेकर जांच की गई और अभी तक इस मामले पर फाइनल रिपोर्ट सब्मिट नहीं की गई है. ऐसे में अब जेएनयू स्टूडेंट्स की एंट्री को लेकर नए सिस्टम पर चर्चा कर रहा है. आईडी सिस्टम लाने की तैयारी JNU वीसी ने कहा कि खुफिया रिपोर्ट बताती हैं कि इस घटना के लिए ‘बाहरी’ जिम्मेदार थे. उन्होंने कहा कि प्रशासन कैंपस में एंट्री के लिए आईडी कार्ड की जरूरत के बारे में स्टूडेंट्स को समझाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘जेएनयू एक ऐसी जगह है, जहां आप कुछ भी करते हैं, तो आपको इसकी अच्छी खासी पब्लिसिटी मिलती है. यही वजह है कि बाहरी लोग यहां आकर हमारी प्रतिष्ठा का फायदा उठा सकते हैं. कैंपस पूरी तरह से सभी के लिए खुला है, तो कोई भी यहां अंदर आ सकता है.’ वीसी ने कहा, ‘यहां कोई टैग नहीं है. ये एक बड़ी समस्या है. एक तरफ, जब स्टूडेंट्स यहां पर आजादी चाहते हैं, लेकिन उनकी खुद की आजादी के लिए किसी प्रकार की आईडी कार्ड या कुछ और होना चाहिए. इससे हम जान पाएंगे कि वह जिम्मेदार व्यक्ति कौन है. हम उसे पकड़ पाएंगे और सजा दे पाएंगे.’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा होगा तो इस तरह की चीजें दोबारा रिपीट नहीं होंगी. हम स्मार्ट कार्ड जैसा कुछ बनाना चाहते हैं ताकि स्टूडेंट्स एंट्री के लिए इसका इस्तेमाल कर सकें.’ आईडी को लेकर हो चुका है विरोध ऐसा नहीं है कि वर्तमान में यूनिवर्सिटी में पूरी तरह से एंट्री को रेगुलेट नहीं किया जाता है. यूनिवर्सिटी के नॉन-मेंबर्स, जो स्टूडेंट्स के गेस्ट या स्टाफ मेंबर्स होते हैं. उन्हें संबंधित व्यक्ति की जानकारी देने पर एंट्री मिल जाती है. दरअसल, पहले भी आईडी कार्ड वाले सिस्टम को लाने की तैयारी थी, लेकिन स्टूडेंट्स ने इसका विरोध किया था.

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