पंजाब सरकार को बिजली यूटिलिटी को विभिन्न श्रेणियों को बिजली सब्सिडी के रूप में 22,962 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा, जो सरकार की ओर से किया जाने वाला सबसे बड़ा भुगतान होगा.
पंजाब की भगवंत मान सरकार के लिए 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा गले की फांस बनता नज़र आ रहा है. अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बिजली सब्सिडी देने जैसे वादे करते सत्ता में तो आ गई, लेकिन पहले से ही कर्ज में दबे राज्य को इस योजना ने मुश्किल में डाल दिया है. बिजली पर सब्सिडी का हाल राज्य में कुछ ऐसा है कि पिछले 25 सालों में राज्य ने सब्सिडी पर 1.18 लाख करोड़ रुपए का भुगतान कर किया, जो अपने कुल कर्ज का लगभग आधा है. बड़ी बात यह है कि राज्य के सिर पर अभी भी करीब 23 हजार करोड़ का कर्ज बाकी है, जो भगवंत मान सरकार को चुकाना पड़ेगा. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खजाने की की कमी से जूझ रहे पंजाब ने पिछले 25 सालों में किसानों, अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों और उद्योगों को बिजली सब्सिडी के रूप में 1.18 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग लाभार्थी वर्गों को दी गई कुल सब्सिडी के आंकड़ों से पता चलता है कि 1997-98 के वित्तीय वर्ष में सब्सिडी का कुल बिल 604.57 करोड़ रुपये था, जो इस वर्तमान वित्तीय वर्ष तक 20 हजार करोड़ के आंकड़े को पार करने के लिए तैयार है. पंजाब सरकार को बिजली यूटिलिटी को विभिन्न श्रेणियों को बिजली सब्सिडी के रूप में 22,962 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा, जो सरकार की ओर से किया जाने वाला सबसे बड़ा भुगतान होगा. लेकिन सरकार का अनुमान है कि वह चालू वित्त वर्ष में बिजली सब्सिडी के लिए सिर्फ 15 हजार 846 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. 22 हजार 962 करोड़… किस क्षेत्र में कितना भुगतान? कृषि क्षेत्र को मुफ्त बिजली देने पर- 6947 करोड़ उद्योग क्षेत्र को सब्सिडी देने पर 2503 करोड़ 300 मुफ्त यूनिट बिजली देने पर 1312 करोड़ कब-कब सब्सिडी पर कितने रुपए किए गए खर्च? कांग्रेस की अमरिंदर सिंह सरकार- वित्त वर्ष 2005-06 में सब्सिडी 1,435 करोड़ रुपए हो गई. उस साल अकेले कृषि सब्सिडी 1,385 करोड़ रुपये थी. शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार वित्त वर्ष 2007-08 में सब्सिडी 2,848 करोड़ रुपए के आंकड़े पर पहुंची. उस साल 2,284 करोड़ रुपए मुफ्त कृषि बिजली की लागत थी. बाकी सालों में कितनी रुपए रही बिजली सब्सिडी? 2009-10- 3,144 करोड़, 2,804 करोड़ रुपए अकेले कृषि क्षेत्र में थे. 2011-12- 4,188 करोड़, इसमें मुफ्त कृषि बिजली 3,879 करोड़ रुपए थी. 2012-13- 5,059 करोड़, जिसमें से कृषि सब्सिडी 4,787 करोड़ रुपये थी. 2017-18- 11,542 करोड़ 2019-20- 15,000 करोड़ चालू वित्त वर्ष- 20,000 करोड़ पार होने का अनुमान पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की रिपोर्ट है कि नॉन-पीक डिमांड के दौरान भी राज्य में बिजली की खपत 14,000 मेगावाट पर बनी हुई है. इसमें कहा गया है कि इससे बिजली सब्सिडी आसमान छूने और सरकारी खजाने को और ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद है. जाहिर है भगवंत मान सरकार की मुश्किलें अब बढ़ने वाली है. या तो कर्ज में डूबो या फिर वादे पूरे कर जनता को लुभाओ.
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