बाजार में तेज गिरावट के बीच भी फार्मा और हेल्थकेयर सेक्टर बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी बैंकों में सबसे ज्यादा नुकसान देखने को मिला है.
चीन से आ रही कोविड की डरावनी तस्वीरों ने दुनिया भर के बाजारों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. भारत की सरकार के द्वारा हालात को लेकर बैठकों के दौर शुरू होने से भी निवेशक नर्वस हैं. यही वजह है कि आज शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल रही. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी एक प्रतिशत से ज्यादा टूट चुके हैं. शुरुआती कारोबार में आज सिर्फ फार्मा स्टॉक में निवेशक पैसा लगा रहे हैं. वहीं बाकी सभी सेक्टर में तेज बिकवाली देखने को मिल रही है. पहले घंटे के कारोबार में निफ्टी 18 हजार और सेंसेक्स 60500 के स्तर से नीचे फिसल गया है. कैसा रहा आज का कारोबार सेंसेक्स आज 600 अंक से ज्यादा गिरावट के साथ खुला वहीं निफ्टी की शुरुआत भी 18 हजार के स्तर से नीचे हुई है. आज चौथा दिन रहा है जब बाजार में बिकवाली का दबाव देखने को मिल रहा है. निवेशकों के फैसले पूरी तरह से कोविड के संकेतों से प्रभावित हैं इसलिए फार्मा कंपनियों की मांग में उछाल की उम्मीद के बाद सेक्टर के शेयरों की भी मांग है, और पूरे बाजार में तेज गिरावट के बीच भी फार्मा और हेल्थकेयर सेक्टर बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी बैंकों में सबसे ज्यादा नुकसान देखने को मिला है. सेक्टर को आशंका है कि चीन में कोविड की लहर अगर सीमाओं के पार फैली तो मंदी की आशंका बढ़ेगी और एनपीए की स्थिति बिगड़ सकती है. शुरुआती कारोबार में पीएसयू सेक्टर इंडेक्स करीब 4 प्रतिशत टूट चुका है. मेटल और ऑटो सेक्टर भी 2 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान के साथ कारोबार कर रहे हैं. सेंसेक्स की कंपनियो में टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, एसबीआई, इन्फोसिस, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, बजाज फाइनेंस और पावर ग्रिड नुकसान में थे. वहीं सन फार्मा और नेस्ले इंडिया में खरीद बनी हुई थी. क्यों बढ़ी निवेशकों की चिंता निवेशकों की मुख्य चिंता महामारी के बाद शुरु हुई रिकवरी पर असर पड़ने से है. दरअसल सभी प्रमुख संस्थान आशंका जता चुके हैं कि केंद्रीय बैंकों के कदमों के कारण साल 2023 में कई बड़ी अर्थव्यवस्था मुश्किल से ही मंदी से बच सकेंगी. हालांकि कोविड की नई लहर फैलने से मंदी का खतरा और बढ़ सकता है. और ये अर्थव्यवस्थाएं मंदी में पहुंच सकती है. महामारी के दौरान स्टॉक्स में आई तेज गिरावट को देखते हुए निवेशक साल 2022 के अंत में ऊपरी स्तरों पर पहुंचे बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. हालांकि भारत सरकार ने पहले ही कह दिया है कि स्थिति चिंताजनक नहीं होगी क्योंकि कोविड को लेकर पिछले अनुभव मदद करेंगे और इस बार प्रतिक्रिया तेज रहेगी. लेकिन भारतीय बाजार पहले से ही काफी ऊपर पहुंच चुके हैं. वित्तीय संस्थान साल 2023 में बड़ी ग्रोथ की उम्मीद नहीं जता रहे हैं. इसलिए निवेशक खास तौर से विदेशी निवेशक जोखिम के संकेत दिखते ही बाजार से बाहर निकलने की कोशिश में हैं.
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