सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में औपचारिक उल्लेख किए जाने के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजीर और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा था कि इस पर गुरुवार को सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट आज उत्तराखंड के हल्द्वानी में 29 एकड़ रेलवे भूमि को खाली कराने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. हल्द्वानी के जिलाधिकारी ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. फैसले के बाद रणनीति बनाई जाएगी. जमीन रेलवे की है, लिहाजा उनकी तरफ से नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले इस इलाके में मुनादी भी कराई गई थी. कानून व्यवस्था को बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है.इधर रेलवे की भूमि में बने 4,000 से ज्यादा घरों में रह रहे लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है. उन्होंने अधिकारियों से तोड़फोड़ नहीं करने की प्रार्थना की है. हल्द्वानी में घरों के अलावा, लगभग आधे परिवार भूमि के पट्टे का दावा कर रहे हैं. इस क्षेत्र में चार सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक, 10 मस्जिद और चार मंदिर हैं. इसके अलावा दशकों पहले बनी दुकानें भी हैं.जिला प्रशासन ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 दिसंबर को कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अखबारों में नोटिस प्रकाशित किया था. प्रशासन ने लोगों से नौ जनवरी तक अपना सामान ले जाने को कहा है. यह भूमि की पट्टी दो किलोमीटर लंबी है जो कि हलद्वानी रेलवे स्टेशन से बनभूलपुरा इलाके में गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर तक फैली है.अधिकारियों ने रेलवे की जमीन का निरीक्षण किया, जबकि हटाए जा रहे निवासियों ने बेदखली रोकने के लिए कैंडल मार्च निकाला और धरना दिया. इलाके की एक मस्जिद में सैकड़ों लोगों ने सामूहिक नमाज 'इज्तेमाई दुआ' अदा की. मस्जिद उमर के इमाम मौलाना मुकीम कासमी ने एएनआई को बताया कि लोगों ने सामूहिक रूप से समाधान के लिए प्रार्थना की. कुछ प्रदर्शनकारी रोते हुए भी दिखे.सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में औपचारिक उल्लेख किए जाने के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजीर और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा था कि इस पर गुरुवार को सुनवाई होगी. प्रदर्शनकारी एक ऐसे क्षेत्र में कार्रवाई के लिए बीजेपी सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं, क्योंकि यहां के अधिकांश निवासी मुस्लिम हैं. सामाजिक कार्यकर्ता और नेता भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं.
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